देशभक्त की आत्मकथा
हिंदी निबंध : Deshbhakt ki Atmakatha Hindi Nibandh
Deshbhakt
ki Atmakatha Hindi Nibandh : मेरा नाम
राम सिंह है | मैं एक साधारण किसान का बेटा हूँ, जो भारत की मिट्टी में पैदा हुआ और इसी मिट्टी के लिए जीया | आज मैं अपनी जीवन की कहानी सुना रहा हूँ, जो देशभक्ति की भावना से भरी हुई है | बचपन से ही मेरे दिल में देश के लिए प्यार था, जैसे कोई बच्चा अपनी माँ से प्यार करता है | यह देशभक्त की आत्मकथा है, जो बताती है कि कैसे एक छोटा सा लड़का बड़ा होकर अपने देश
के लिए सब कुछ कुर्बान करने को तैयार हो गया |
मैं 1920 के दशक में उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में पैदा हुआ | मेरे पिता जी खेतों में काम करते थे और माँ घर
संभालती थीं | घर
में हमेशा गरीबी थी, लेकिन
खुशी की कमी नहीं | स्कूल में पढ़ते हुए मैंने पहली बार महात्मा
गांधी जी और भगत सिंह जैसे महान लोगों की कहानियाँ सुनीं | मेरे मन में एक आग जल उठी | मैं सोचता था, “क्यों हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम है? क्यों हमारी मिट्टी पर विदेशी राज कर रहे हैं?” ये सवाल मुझे रातों में सोने नहीं देते थे | एक दिन स्कूल में स्वतंत्रता दिवस पर भाषण देते
हुए मैंने कहा, “मैं बड़ा
होकर देश की आजादी के लिए लड़ूँगा | ” सबने ताली बजाई, लेकिन
मेरे दिल में वो शब्द हमेशा के लिए बस गए |
जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, देशभक्ति की भावना और मजबूत होती गई | 1942 में जब गांधी जी ने ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन शुरू किया, तो मैंने अपना सब कुछ छोड़ दिया | मैंने गाँव छोड़ा और शहर जाकर आंदोलन में शामिल
हो गया | वहाँ मैंने
हजारों लोगों के साथ सड़कों पर नारे लगाए – “इंकलाब जिंदाबाद!” “भारत माता की जय!”
पुलिस की लाठियाँ खाईं, लेकिन
कभी पीछे नहीं हटा | एक बार तो मुझे जेल भी जाना पड़ा | जेल में अंधेरी कोठरी में बैठकर
मैं सोचता था, “यह दर्द
तो कुछ भी नहीं, देश की आजादी के
सामने | ” मेरी आँखों में आंसू आ जाते थे, जब मैं अपने परिवार को याद करता | माँ की याद आती, जो कहती थीं, “बेटा, देश
पहले है,
परिवार बाद में | ” उन भावनाओं ने मुझे और मजबूत बनाया |
देशभक्ति का मतलब सिर्फ नारे लगाना नहीं है | यह तो दिल की गहराई से निकलने वाली भावना है
| मैंने देखा कि कैसे लोग
अपने घर-बार छोड़कर लड़ाई में कूद पड़े | एक बार आंदोलन के दौरान मेरे एक दोस्त को गोली
लग गई | मैंने उसे
अपनी गोद में उठाया और अस्पताल ले गया, लेकिन वो बच न सका | उस पल मेरे दिल में दर्द हुआ, लेकिन साथ ही गर्व भी | वो शहीद हो गया था देश के लिए
| मैंने सोचा, “अगर जरूरत पड़ी, तो मैं भी तैयार हूँ | ” ऐसे पल जीवन में आते हैं, जो हमें सिखाते हैं कि प्यार और त्याग क्या होता है | देशभक्ति ने मुझे सिखाया कि जीवन में सबसे बड़ा
सुख दूसरों के लिए जीना है |
1947 में जब भारत आजाद हुआ, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था | मैंने झंडा फहराया और आंसू बहाए | लेकिन आजादी के बाद भी मैंने देश
सेवा नहीं छोड़ी | मैं गाँव लौटा और लोगों को पढ़ाई, स्वास्थ्य और एकता के बारे में बताया | मैंने स्कूल खोला, ताकि बच्चे देशभक्त बनें
| आज मैं बूढ़ा हो गया हूँ, लेकिन मेरे दिल में वही जोश है | मैं बच्चों से कहता हूँ, “देश तुम्हारा है, इसे प्यार से संभालो | छोटी-छोटी बातों से शुरू करो –
साफ-सफाई रखो, पेड़
लगाओ,
और हमेशा सच्चाई पर चलो | ”
यह मेरी देशभक्त की आत्मकथा है, जो बताती है कि देशभक्ति कोई किताबी बात नहीं, बल्कि जीने का तरीका है | अगर हर व्यक्ति अपने देश के लिए
थोड़ा सा भी सोचे, तो
दुनिया बदल सकती है | मुझे गर्व है कि मैंने अपना जीवन देश को समर्पित
किया | भारत माता की
जय!
